AB PHYLLINE दवा की जानकारी, लाभ,हानि, विकल्प, विक्रेता
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नमस्कार
उत्पादनकर्ता- SUN PHARMA LABORATORIES LTD.
सामग्री- ACEBROPHYLLINE 100MG
(मौलीकुल)
रखने का तरीका- कमरे के तापमान पर सुखी एवम ठंडी जगह!
(Store below 30'C)
विक्रेता -भारत के राज्य से drug licence प्राप्त दवा बिक्रेता एवम प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान।
ABPHYLLINE
100MG☺
विस्तृत जानकारी :
यह दवा ब्रोकोडायलेटर नामक दवाओं की श्रेणी से संबंधित है जो रोगी के रोग,उम्र ,वजन और लिंग के अनुसार डॉक्टर की लिखित पर्ची से उतने दिनो के लिए दी जाती है ऐसे रोगी जिनमे बार बार सीने में बलगम बनने ,सुखी खासी,प्रदूषण से सास लेने में रुकावट आने या श्वसन नलिकाओं का सही कार्य ना होने पर दमा जैसी बीमारियो के इलाज के लिए दी जाती है दवा में मुख्य रसायन ACEBROPHYLLINE की 100MG की मात्रा मिश्रित होती है जो मरीज के रोग को कम करने में अहम भूमिका निभाती है।
कार्य प्रणाली:
दवा में मौजूद Acebrophylline की मात्रा शरीर में जैंथिन के उत्पादन को बढ़ाती है जो पतली कमजोर और ढीली पर रही श्वसन नलिकाओं के मांसपेशी के प्रोटीन को बढ़ाती है जिसे नलिकाओं को आराम मिलने के साथ उनके कार्य के क्रिया में बढ़ोतरी होती है एवम श्वसन नलिकाएं पहले से ज्यादा चौड़ी होने के कारण वायु का आवागमन सुगमता पूर्वक होता है। बैक्ट्रिया को नष्ट कर सीने में बलगम बनना कम होता है श्वसन क्रिया के कार्य में रुकावट नहीं आती है जो श्वसन से संबंधित बीमारियो को कम करने मे यह दवा कारगर साबित होती है ।
ABPHYLLIN के लाभ
श्वसन नलिकाओं को ठीक करना
बलगम बनाने में रोक लगती है
सुखी खांसी ठीक करने में
दमा के इलाज में
सीने में होने वाली घरघराहट में
प्रदूषण से होने वाली एलजी में
श्वसन नलिकाओं के पूर्ण आवागमन में
बैक्ट्रीया नष्ट करने मे
इत्यादि।
ABPHYLLIN की हानि
चर्म रोग
दस्त
उल्टी
रक्त में सफेद कणिका का बढ़ाना
भूख ना लगना
खुजली
इत्यादि।
ये समस्याएं मरीजों में एक या दो दिनों तक ही देखने को मिलते है और ठीक हो जाते है यदि ये समस्याएं हमेशा बनी रहती हो तो कृपया तुरंत अपने डॉक्टर को इन रोगों की जानकारी दे ।दवा मे बदलाव की आवश्यकता हो सकती है।
खुराक:
इस दवा को कब कैसे लिया जाय यह आपके रोग पर निर्भर करती है जो विशेष डॉक्टर द्वारा ही निर्धारित की जाती है बिना डॉक्टर के सुझाव दवा की खुराक अमान्य और जोखिम होती है।
सुरक्षा संबंधित सलाह
इस दवा का इस्तेमाल करने से पहले यदि मरीज को पहले से लीवर,किडनी या हृदय से संबंधित बीमारियो हो या कोई विशेस रोग के कारण अन्य दवा का सेवन करते है तो इन सभी की जानकारी अपने डॉक्टर से जरूर साझा करे। ऐसे पदार्थ या जीव जंतु जिसे श्वसन से जुड़ी एलर्जी होती हो,और धूल कर्ण जैसे प्रदूषित स्थान उन सभी से विशेष दूरी बनाएं। जब भी घर से बाहर जाए अपने पास रुमाल या फेस मास्क को जरूर अपने पास रखे। उन स्थानों पर जाने से पहले मरीज मुख और नाक को ढक ले। फेस मास्क पहनने की भी जरूरत हो सकती है (विशेष श्वसन तंत्र के मरीज के लिए)। स्वास्थ आहार के साथ साथ श्वसन से संबंधित योग करना लाभप्रद होता है इन दवाओं का कुछ विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा हृदय से जुड़ी बीमारियो में भी दवा का इस्तेमाल किया जाता है मरीज को यह जानना जरूरी होता है यह दवा अकस्मात होने वाली सास की तकलीफों में उपयोगी नहीं होती है कुछ दिनों के सेवन के बाद ही इस दवा लाभ मिलता है इसलिए यदि आपको सास की समस्या है तो अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए इन्हेलर को उन गंभीर परिस्थिति में उपयोग में लाए। आपके रोग में सुधार होने के बाद भी दवा की खुराक डॉक्टर के निर्देश के अनुसार ही बंद करे।
सावधानियां
स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग) के समय दवा मां के दूध में मिश्रित होकर बच्चे को हानिकारक प्रभाव डाल सकती है डॉक्टर के सुझाव के अनुसार ही विशेष समय पर दवा की खुराक ले।
लीवर में यदि पहले से कोई रोग न हो तो इस दवा से होने वाली हानिकारक प्रभाव समस्या कम होती है।
किडनी के मरीजों में दवा का इस्तेमाल डॉक्टर की निगरानी में करे दवा में बदलाव की भी आवश्यकता हो सकती है।
हृदय रोगी में दवा की खुराक की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
लेखक
Mr Sany guita (B. PHARMA, Pharmacist)
10 YEAR experience Emami frankross pharmecy counter
सह लेखक
Mr DHIRAJ PASWAN
Senior Counter Associate (8 YEAR EMAMI FRANKROSS PHARMACY)
NOTE: यहां दी गईं MEDICINE कि जानकारी सिर्फ एजुकेशन परपस के लिए है और ना ही किसी रोग के निदान के लिए।कृपया किसी भी प्रकार के रोग के लिए अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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